प्रेग्नेंसी के दूसरी तिमाही में होते हैं ये बदलाव, रखें इन बातों का ख्याल

प्रेग्नेंसी के दूसरी तिमाही में होते हैं ये बदलाव, रखें इन बातों का ख्याल

सेहतराग टीम

महिलाओं की प्रेग्नेंसी की बात करें तो सभी महिलाएं नौ महीने तक अपने पेट में बच्चें को रखती हैं। हर महीनें कुछ ना कुछ बदलाव होता है। इसलिए उन्हें हर महीने ज्यादा केयर करने की जरूरत होती है। वहीं आज हम बात करेंगे दूसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे मां के साथ बच्चे की सेहत भी रहे चुस्त-दुरूस्त।

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दूसरी तिमाही (The Second Trimester of Pregnancy in Hindi):

इस समय स्त्री अच्छा महसूस करती है। मूड भी अच्छा होता है, क्योंकि उल्टी, मॉर्निग सिकनेस और अन्य समस्याएं अब नहीं होतीं। हालांकि पेट का आकार बढने के कारण पीठ और थाइज में दर्द हो सकता है।

होने वाले बदलाव (Changes in Your Body During Pregnancy Second Trimester in Hindi):

  • ब्रैक्सन हिक्स में खिंचाव होने लगता है इसे प्रोड्रोमल लेबर भी कहते हैं। इस दौरान यूट्रस की मांसपेशियों में सिकुडन महसूस होने लगती है।
  • पर्याप्त दूध और हाई प्रोटीन डाइट लें। 1 बडा बोल दाल लें इससे शरीर में सूजन नहीं आएगी। एनीमिया भी नहीं होगा। प्रोटीन ब्लड बनाने में भी मदद करता है।
  • हॉर्मोनल बदलाव के कारण नाक से खून भी आ सकता है। इस दौरान शरीर में रक्तसंचार बढता है, जिसके कारण नाक से खून आता है। अगर ऐसा हो तो खून को रोकने के लिए अपने सिर को हमेशा सीधा रखें, पीछे की तरफ न झुकाएं। ठंडे पानी से नाक धोएं।
  • प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ब्रेस्ट का आकार भी बढ जाता है। ब्रेस्ट में दूध बनाने वाली ग्रंथियों का विकास हो जाता है।
  • दूसरी तिमाही में अधिक भूख लगती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि जो खाएं वह पौष्टिक और संतुलित हो। क्योंकि वजन भी बढ सकता है।

सावधानियां (Pregnancy Precautions in Hindi):

  • इस समय आपको अतिरिक्त कैल्शियम और आयरन की जरूरत होगी, क्योंकि इस समय बच्चे की हड्डियों और दांतों का विकास होता है। -फाइबर की कमी न होने दें ताकि कब्ज की समस्या न होने पाए।
  • अचानक झुककर कोई चीज न उठाएं। उठते और बैठते समय अपने पोस्चर पर ध्यान दें। पीठ को सपोर्ट देने के लिए कुशन लगाएं।
  • शरीर में पानी की कमी न होने दें।
  • अगर बाहर कहीं घूमने जाना है तो इन्हीं दिनों सुरक्षित सफर कर सकती हैं।
  • रुटीन चेकअप्स
  • बीपी टेस्ट और प्रोटीन का स्तर जानने के लिए यूरिन का टेस्ट।
  • इस ट्राइमेस्टर में टेटनेस टॉक्साइड के दो इंजेक्शन चार-छह सप्ताह में अंतराल पर लगते हैं।
  • शिशु का शारीरिक विकास जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन।
  • ब्लड शुगर टेस्ट, थायरॉयड टेस्ट (ताकि पता चल सके कि कंट्रोल में है या नहीं), हीमोग्लाबिन टेस्ट होता है।
  • डेंटल चेकअप और फिजियोथेरेपी कराएं।
  • दूसरे ट्राइमेस्टर में बच्चे का वजन प्रति माह आधा से एक किलो बढना जरूरी है।

 

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